चित नई बुलंदियों पर आज मेरा भारत,
कि बिन कहे ही दे रहा स्वयं को पहचान मेरा भारत|
ये मेरा देश है या विशेष की नित नयी तरंगें ,
कि जन जन जाग चुका है कि, सिरमौर है मेरा भारत |
गाँवों के तालाबों से शहर तक का सफर,
जो कल तक अनजान अँधेरे रास्तों की गोद में था ,
आज वो रास्ते पंच महाभूतों से तय करता हुआ ,
उज्जवल रास्तों का मील का पत्थर सा मेरा भारत|
ये विकसित भारत की परिकल्पना कोई कल की बात नहीं,
यह वो भारत है जो आज को कल से बेहतर बनाता है,
ये युवा, दीन, नारी और अन्नदाता का मेरा भारत ,
समावेशित भागीदारी से बनता हुआ, दो हजार पैंतालीस का "विकसित भारत"|
इस भारत का नागरिक है सहभागी ज़िम्मेदार ,
जो बाह्य रूप से प्रबल ही नहीं अंदर से है सशक्त ,
देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, नारी सशक्तिकरण
का अलख जगाता ये भारत,
एक युग है, एक नवजागरण है, आज का मेरा भारत...
@सौर
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